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महाराणा प्रताप

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नाम - महाराणा प्रताप, जिन्हें श्री कुंवर प्रताप सिंह के नाम से भी जाना जाता है जन्म- 9 मई, 1540 ई जन्म स्थान - कुम्भलगढ़, राजस्थान मृत्यु तिथि – 29 जनवरी, 1597 ई पिता - श्री महाराणा उदयसिंह माता - श्रीमती जीवत कंवर राज्य - मेवाड़ शासनकाल – 1568–1597 ई शासन काल - 29 वर्ष वंश - सूर्यवंश वंश के सिसोदिया क्षेत्र - राजपुताना ध ार्मिक विश्वास - हिंदू धर्म राजधानी – उदयपुर युद्ध - हल्दीघाटी का युद्ध पूर्ववर्ती - महाराणा उदयसिंह उत्तराधिकारी - राणा अमर सिंह अतिरिक्त जानकारी: महाराणा प्रताप के पास चेतक नाम का एक घोड़ा और रामप्रसाद नाम का एक हाथी था, जिन्होंने अकबर के हाथियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और अकेले ही हल्दीघाटी के युद्ध में कई लोगों को हराया। विक्रमी संवत के अनुसार हर साल ज्येष्ठ, शुक्ल पक्ष तृतीया को महाराणा प्रताप की जयंती मनाई जाती है। महाराणा प्रताप के बारे में रोचक तथ्य: 1). महाराणा प्रताप एक निडर योद्धा थे जो अपनी वीरता और ताकत के लिए जाने जाते थे। उन्होंने तलवारबाजी की कला में कड़ी मेहनत की थी और तलवार चलाने में अत्यधिक कुशल थे।

सभी सनातनी बहन-भाई के लिए मेरा एक छोटा सा प्रयास।🙏🚩

सभी सनातनी बहन-भाई के लिए मेरा एक छोटा सा प्रयास।🙏🚩 1अष्टाध्यायी               पाणिनी 2-रामायण                    वाल्मीकि 3-महाभारत                  वेदव्यास 4-अर्थशास्त्र                  चाणक्य 5-महाभाष्य                  पतंजलि 6-सत्सहसारिका सूत्र      नागार्जुन 7-बुद्धचरित                  अश्वघोष 8-सौंदरानन्द                 अश्वघोष 9-महाविभाषाशास्त्र        वसुमित्र 10- स्वप्नवासवदत्ता        भास 11-कामसूत्र                  वात्स्यायन 12-कुमारसंभवम्           कालिदास 13-अभिज्ञानशकुंतलम्    कालिदास   14-विक्रमोउर्वशियां        कालिदास 15-मेघदूत                    कालिदास 16-रघुवंशम्                  कालिदास 17-मालविकाग्निमित्रम्   कालिदास 18-नाट्यशास्त्र              भरतमुनि 19-देवीचंद्रगुप्तम          विशाखदत्त 20-मृच्छकटिकम्          शूद्रक 21-सूर्य सिद्धान्त           आर्यभट्ट 22-वृहतसिंता               बरामिहिर 23-पंचतंत्र।                  विष्णु शर्मा 24-कथासरित्सागर        सोमदेव 25-अभिधम्मकोश         वसुबन्धु 26-मुद्राराक्षस               विशाखदत्त 27-रावणवध।         

एक रोचक कहानी

8 साल का एक बच्चा 1 रूपये का सिक्का मुट्ठी में लेकर एक दुकान पर जाकर पूछने लगा, --क्या आपकी दुकान में ईश्वर मिलेंगे? दुकानदार ने यह बात सुनकर सिक्का नीचे फेंक दिया और बच्चे को निकाल दिया। बच्चा पास की दुकान में जाकर 1 रूपये का सिक्का लेकर चुपचाप खड़ा रहा! -- ए लड़के.. 1 रूपये में तुम क्या चाहते हो? -- मुझे ईश्वर चाहिए। आपकी दुकान में है? दूसरे दुकानदार ने भी भगा दिया। लेकिन, उस अबोध बालक ने हार नहीं मानी। एक दुकान से दूसरी दुकान, दूसरी से तीसरी, ऐसा करते करते कुल चालीस दुकानों के चक्कर काटने के बाद एक बूढ़े दुकानदार के पास पहुंचा। उस बूढ़े दुकानदार ने पूछा, -- तुम ईश्वर को क्यों खरीदना चाहते हो? क्या करोगे ईश्वर लेकर? पहली बार एक दुकानदार के मुंह से यह प्रश्न सुनकर बच्चे के चेहरे पर आशा की किरणें लहराईं ৷ लगता है इसी दुकान पर ही ईश्वर मिलेंगे !   बच्चे ने बड़े उत्साह से उत्तर दिया, ----इस दुनिया में मां के अलावा मेरा और कोई नहीं है। मेरी मां दिनभर काम करके मेरे लिए खाना लाती है। मेरी मां अब अस्पताल में हैं। अगर मेरी मां मर गई तो मुझे कौन खिलाएगा ? डाक्टर ने कहा है कि अब सिर्फ ईश्वर ही