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112 नम्बर क्या है ❓

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112 नम्बर क्या है ❓ फ़ोन लॉक होने पर भी कैसे कर सकते हैं मदद या बचा सकते हैं किसी कि जान ❓ 🛑Emergency Service के लिए अब सिंगल हेल्पलाइन नंबर जारी कर दिया गया है. अब जब भी आपको मदद की जरूरत हो, आप खतरे में हों या कोई गंभीर रूप से घायल हो गया हो, तो तुरंत 112 नंबर डायल कीजिए. इसके अलावा अगर आपके सामने मारपीट, हत्या, डकैती या हंगामे जैसे गंभीर क्राइम हो रहे हों, तो भी आप 112 पर डायल कर सकते हैं. ✅इससे पहले इन सभी सुविधाओं के लिए अलग-अलग नंबर डायल करने होते थे. पुलिस (100), एंबुलेंस सेवा (108), वुमन हेल्पलाइन नंबर (1090) और फायर स्टेशन (101) जैसे जरूरी नंबरों को अलग-अलग सेव किया करते थे. 🛑112 नंबर को ही क्यों सेलेक्ट किया गया❓ सबसे पहले साल 1972 में यूरोपियन कॉन्फ्रेंस ऑफ पोस्टल एंड टेलिकम्युनिकेशंस एडमिनिस्ट्रेशंस (CEPT) ने 112 नंबर को इमरजेंसी नंबर के रूप में चुना था. उन दिनों रोटरी टाइप फोन (जिन फोन में नंबर को घुमाकर डायल किया जाता है) हुआ करते थे. इन फोन में 112 नंबर डायल करने में कम समय और कम रोटेशन की जरूरत होती थी. हालांकि अब रोटरी फोन की जगह मोबाइल फोन आ गए हैं. लेकिन फोन में भी

मोदी सरकार अब कितने दिनों की मेहमान है?

नेहरू जी को छोड़ दें तो शायद मोदी आज़ाद भारत के एकमात्र नेता रहेंगे जो अपराजेय रहे जब जनता सीधे उनको चुन या रिजेक्ट कर रही थी। ये एक विशिष्ट उपलब्धि इसलिए है क्योंकि उनका चुनाव 80% लोगों से शुरू होता है, 20% मुस्लिम आबादी में से मोदी को एक भी वोट नही मिलता। मज़ेदार बात ये है कि आज तक भारत का कोई प्रधानमंत्री 50% वोट नही पा सका। नेहरू भी जिनके खिलाफ कोई विपक्ष ही नही था वो भी 48% पर ही रुक गए, इंदिरा गांधी तो अपने चरम पर भी 43% पा सकी । जबकि नेहरू को तो खुद गांधी ने चुना था, इंदिरा गांधी को परिवार से होने का फायदा मिला। मोदी खुद के दम पर नीचे से उपर आए और 45% जनता की पसन्द बने।  राजनेताओं को वोट के लिए ड्रामेबाज़ी तो करनी ही पड़ती है।नेहरू जी चुनावों में जनसंघ पर इल्ज़ाम लगाते थे कि इन्होंने गांधी को मारा जबकि अदालत से कभी कुछ सिद्ध नही हुआ था। इंदिरा गांधी हमेशा विक्टिम कार्ड खेलती रही, भाषणों में बोलती रही कि ये लोग मुझे मार डालेंगे( आपरेशन ब्लू स्टार के भी बहुत पहले से)। मोदी भी इस कला में माहिर हैं। अभी उत्तरप्रदेश चुनावों की बड़ी चर्चा है, मोदी की रैलियां शुरू होते ही असली खेला होगा। जि

महत्वपूर्ण तथ्य

[1] मुख्य द्वार के पास कभी भी कूड़ादान ना रखें इससे पड़ोसी शत्रु हो जायेंगे | [२] सूर्यास्त के समय किसी को भी दूध,दही या प्याज माँगने पर ना दें इससे घर की बरक्कत समाप्त हो जाती है | [३] छत पर कभी भी अनाज या बिस्तर ना धोएं..हाँ सुखा सकते है इससे ससुराल से सम्बन्ध खराब होने लगते हैं | [४] फल खूब खाओ स्वास्थ्य के लिए अच्छे है लेकिन उसके छिलके कूडादान में ना डालें वल्कि बाहर फेंकें इससे मित्रों से लाभ होगा | [५] माह में एक बार किसी भी दिन घर में मिश्री युक्त खीर जरुर बनाकर परिवार सहित एक साथ खाएं अर्थात जब पूरा परिवार घर में इकट्ठा हो उसी समय खीर खाएं तो माँ लक्ष्मी की जल्दी कृपा होती है | [६] माह में एक बार अपने कार्यालय में भी कुछ मिष्ठान जरुर ले जाएँ उसे अपने साथियों के साथ या अपने अधीन नौकरों के साथ मिलकर खाए तो धन लाभ होगा | [७] रात्री में सोने से पहले रसोई में बाल्टी भरकर रखें इससे क़र्ज़ से शीघ्र मुक्ति मिलती है और यदि बाथरूम में बाल्टी भरकर रखेंगे तो जीवन में उन्नति के मार्ग में बाधा नही आवेगी | [८] वृहस्पतिवार के दिन घर में कोई भी पीली वस्तु अवश्य खाएं हरी वस्तु ना खाएं तथा बुधवार

अजीत डोभाल NSA के रूप में पीएम को पसंद...|

यूपीए में कई वर्षों तक सेवा देने के बाद भी पीएम मोदी ने अजीत डोभाल को एनएसए के रूप में क्यों रखा? मैं आपको नरेंद्र मोदी का एक गुण बता सकता हूं कि वह अपने कैबिनेट या सांसदों से ज्यादा नौकरशाहों पर विश्वास करते हैं। RBI: IAS EAM: IFS NSA: IPS तो भूल जाइए कि वह पार्टी या आदि से किसी और को चुनेंगे। हाँ, वह पुलिस सेवाओं से लेंगे लेकिन वह भी उपलब्धियों पर निर्भर करता है। 1) उन्होंने अपनी मानसिकता, रणनीति और जुनून के कारण अजीत डोभाल को एक एनएसए के रूप में रखा। 2) अजीत डोभाल ने अपनी क्षमताओं को बार-बार साबित किया है जैसे 370 निरस्तीकरण, पाकिस्तान पर बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक और अब चीन के एफएम के साथ बातचीत। 3) शाह और मोदी के साथ उनके बहुत सौहार्दपूर्ण और सहयोगी संबंध हैं। यह उसे स्वतंत्र रूप से और खुले दिमाग से काम करने के लिए प्रेरित करता है जो हमारे लिए सबसे अच्छा है। 4) किसी को यह नहीं भूलना चाहिए कि वह आने वाले चुनावों में बहुत जल्द या बाद में एमपी जा रहे हैं। इसलिए कार्रवाई में होना बहुत महत्वपूर्ण है। 5) याद कीजिए कि किस तरह उन्होंने रात में तब्लीगी जमात को संभाला और दिल्ली के हालात

क्या हिन्दुस्तान की राजनीति में से धर्म को निकाला जा सकता है?

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मेरा मानना है नहीं निकाला जा सकता है क्योंकि हिंदुस्तान का निर्माण ही धर्म के आधार पर हुआ है, बंटवारा इसका उदाहरण है। हमारे ओरिजनल संविधान की नींव भी धर्म आधारित थी लेकिन कुछ लोगों की महत्वाकांक्षा, ध्रुवीकरण व तुष्टिकरण की राजनीति के कारण आज हिन्दुस्तान की राजनीति बहुत जटिल हो गई है। मेरा मानना है कि हिन्दुस्तान को सेक्युलर देश नहीं होना चाहिए था और शायद हमारी पहली संविधान सभा का भी यही मत था तभी उस सभा ने सर्वसम्मति से सेक्युलर शब्द को संविधान में शामिल नहीं किया था लेकिन अफसोस 1975–76 में इमरजेंसी लगाकर पूरे विपक्ष, मीडिया को जेलों में कैद करके देश पर जबरन सेक्युलर शब्द थोप दिया गया और लिबरल के टी शाह की सिफारिश पर आधे से ज्यादा संविधान को बदल दिया गया। यहां ध्यान देने वाली बात ये भी है कि जब पहली संविधान सभा ने सेक्युलर प्रस्ताव रद्द किया था तो उसके पीछे एक तर्क ये भी था कि अगर हम देश को धर्म निरपेक्ष मानते हैं तो फिर जातिगत आरक्षण की अवधारणा क्यों?सभा के सदस्यों के सामने ये एक जटिल समस्या थी क्योंकि अगर सेक्युलर बनाया तो आरक्षण का विचार बदलना पड़ेगा जिससे उस समय की एक बहुत बड़