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भगवान राम की अंगूठी व हनुमान

भगवान राम जानते थे कि उनकी मृत्यु का समय हो गया है। वह जानते थे कि जो जन्म लेता है उसे मरना ही पड़ता है। यही जीवन चक्र है। और मनुष्य देह की सीमा और विवशता भी यही है। उन्होंने कहा... “यम को मुझ तक आने दो। बैकुंठ धाम जाने का समय अब आ गया है।”  मृत्यु के देवता यम स्वयं अयोध्या में घुसने से डरते थे। क्योंकि उनको राम के परम भक्त और उनके महल के मुख्य प्रहरी हनुमान से भय लगता था। उन्हें पता था कि हनुमानजी के रहते यह सब आसान नहीं। भगवान श्रीराम इस बात को अच्छी तरह से समझ गए थे कि, उनकी मृत्यु को अंजनी पुत्र कभी स्वीकार नहीं कर पाएंगे, और वो रौद्र रूप में आ गए, तो समस्त धरती कांप उठेगी। उन्होंने सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा से इस विषय मे बात की। और अपने मृत्यु के सत्य से अवगत कराने के लिए राम जी ने अपनी अंगूठी को महल के फर्श के एक छेद में से गिरा दिया! और हनुमान से इसे खोजकर लाने के लिए कहा।हनुमान जी ने स्वयं का स्वरुप छोटा करते हुए बिल्कुल भंवरे जैसा आकार बना लिया... और अंगूठी को तलाशने के लिये उस छोटे से छेद में प्रवेश कर गए। वह छेद केवल छेद नहीं था, बल्कि एक सुरंग का रास्ता था, जो पाताल लो

SDM कौन होता है ❓

SDM कौन होता है ❓ ✔︎ एसडीएम 1973 आपराधिक प्रक्रिया संहिता और कई अन्य छोटी कार्रवाइयों के तहत विभिन्न मजिस्ट्रेट कर्तव्यों का पालन करते हैं।  एसडीएम का अपने उपखंड के तहसीलदारों पर पूरा नियंत्रण होता है।  वह अपने जिला अधिकारी और तहसीलदार दोनों के बीच संबंध की एक कड़ी का प्रतिनिधित्व करता है। ✔︎ किसी भी जिले में जहां सबसे ज्यादा पावरफुल डीएम (District Magistrate) होता है और उसके पास सारे अधिकारी होते हैं, वहीं डिवीजन स्‍तर पर वही अधिकार एसडीएम के पास होते हैं।  जिसे उप प्रभागीय न्यायाधीश (Sub Divisional Magistrate) कहते हैं।  एक SDM का पद बहुत जिम्मेदारी भरा होता है। 🔴 SDM के पद पर भर्ती संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) और राज्यों के लोक सेवा आयोग द्वारा की जाती है। इसके द्वारा आयोजित सर्वाधिक लोकप्रिय पीसीएस (PCS) परीक्षा है। इसके लिखित परीक्षा में सफल होने के बाद एक साक्षात्कार भी होता है। हर राज्य का एक आयोग होता है जो इस सिविल सेवा परीक्षा का आयोजन करता है। राज्य की सिविल सेवा परीक्षा में SDM सबसे बड़ा पद होता है।  इस परीक्षा में सफल होने वाले उम्मीदवारों को उपखंड मजिस्ट्रेट (SDM) के पद पर

अवध क्षेत्र क एकमात्र पौराणिक शनि धाम.....!

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आइये आप आपको अवध क्षेत्र के एकमात्र पौराणिक शनि धाम के दर्शन कराते हैं- यह प्राचीन मंदिर उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में विश्वनाथगंज बाजार से लगभग 2 किलोमीटर दूर कुशफरा के जंगल में लोगों के श्रध्दा व आस्था का केंद्र बना हुआ है।बाल्कुनी (या बकुलाही) नदी के किनारे स्थित इस पवित्र धाम के बारे में कहा जाता है कि यह ऐसा स्थान है जहां आते ही भक्त भगवान शनि जी की कृपा का पात्र बन जाता है। चमत्कारों से भरा हुआ यह स्थान लोगों को सहसा अपनी तरफ आकर्षित कर लेता है। इस क्षेत्र के एकमात्र शनि धाम होने के कारण यहां प्रतापगढ़(बेल्हा) के साथ-साथ प्रयागराज, सुलतानपुर, रायबरेली, अयोध्या इत्यादि जिलों से भक्त आते रहते हैं। यहां के बारे में मान्यता है कि सच्चे मन से यहां मांगी हुई हर मन्नत जरूर पूरी होती है । अब आगे बात करते हैं प्रमुख जिलों से यहां की दूरी व रूट - 1) अयोध्या - प्रयागराज हाइवे पर सुलतानपुर होते हुए- सुलतानपुर से प्रतापगढ़ की दूरी लगभग 40 किलोमीटर, प्रयागराज से प्रतापगढ़ की दूरी लगभग 65 किलोमीटर 2) लखनऊ से रायबरेली या अमेठी के रास्ते - लखनऊ से प्रतापगढ़ की दूरी लगभग 170 किलोमीटर न