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The Kashmir Files - एक अलग दृष्टिकोण से

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The Kashmir Files - एक अलग दृष्टिकोण से फ़िल्म में चार किरदार हैं मिथुन चक्रवर्ती - ब्रह्म दत्त - ये सरकार का रूप हैं पुनीत इस्सर - हरि नारायण - ये पुलिस अफसर हैं, कानून व्यवस्था का रूप अतुल श्रीवास्तव - विष्णु -ये पत्रकार हैं, लोकतंत्र का चौथा स्तंभ प्रकाश बेलावड़ी - महेश कुमार - ये डॉक्टर हैं, ये हमारा Service Class हैं। फ़िल्म में दिखाया है, कि जब कश्मीर घाटी में ये अत्याचार हो रहे थे, तो हमारे देश के ये चारों स्तंभ चुप थे, बेबस थे, और नकारा भी थे। शारदा (भाषा सुम्बली) और शिवा (child actor) वो दो महत्वपूर्ण चीजें हैं जो हमने खो दी हैं......शारदा मतलब सरस्वती और ज्ञान...कश्मीर हजारों साल से हमारे ज्ञान का केंद्र था, जो इस अत्याचार के बाद खो गया है.....वहीं शिवा धर्म का स्वरूप है....जिसकी जबरन हत्या कर दी गयी। वहीं दूसरे पक्ष में कुछ राजनेता हैं (अब्दुल्ला), हमारा Intelligencia पल्लवी जोशी (प्रोफेसर राधिका मेनन+अरुंधति रॉय) और असामाजिक तत्व (बिट्टा/यासीन मलिक) हैं.....जिन्होंने एक मजबूत गठजोड़ बना रखा है.....इन्होंने एक छद्म आवरण डाल दिया है समाज में, जिससे हर कोई दिग्भ्रमित ह

अवध क्षेत्र क एकमात्र पौराणिक शनि धाम.....!

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आइये आप आपको अवध क्षेत्र के एकमात्र पौराणिक शनि धाम के दर्शन कराते हैं- यह प्राचीन मंदिर उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में विश्वनाथगंज बाजार से लगभग 2 किलोमीटर दूर कुशफरा के जंगल में लोगों के श्रध्दा व आस्था का केंद्र बना हुआ है।बाल्कुनी (या बकुलाही) नदी के किनारे स्थित इस पवित्र धाम के बारे में कहा जाता है कि यह ऐसा स्थान है जहां आते ही भक्त भगवान शनि जी की कृपा का पात्र बन जाता है। चमत्कारों से भरा हुआ यह स्थान लोगों को सहसा अपनी तरफ आकर्षित कर लेता है। इस क्षेत्र के एकमात्र शनि धाम होने के कारण यहां प्रतापगढ़(बेल्हा) के साथ-साथ प्रयागराज, सुलतानपुर, रायबरेली, अयोध्या इत्यादि जिलों से भक्त आते रहते हैं। यहां के बारे में मान्यता है कि सच्चे मन से यहां मांगी हुई हर मन्नत जरूर पूरी होती है । अब आगे बात करते हैं प्रमुख जिलों से यहां की दूरी व रूट - 1) अयोध्या - प्रयागराज हाइवे पर सुलतानपुर होते हुए- सुलतानपुर से प्रतापगढ़ की दूरी लगभग 40 किलोमीटर, प्रयागराज से प्रतापगढ़ की दूरी लगभग 65 किलोमीटर 2) लखनऊ से रायबरेली या अमेठी के रास्ते - लखनऊ से प्रतापगढ़ की दूरी लगभग 170 किलोमीटर न

क्या हिन्दुस्तान की राजनीति में से धर्म को निकाला जा सकता है?

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मेरा मानना है नहीं निकाला जा सकता है क्योंकि हिंदुस्तान का निर्माण ही धर्म के आधार पर हुआ है, बंटवारा इसका उदाहरण है। हमारे ओरिजनल संविधान की नींव भी धर्म आधारित थी लेकिन कुछ लोगों की महत्वाकांक्षा, ध्रुवीकरण व तुष्टिकरण की राजनीति के कारण आज हिन्दुस्तान की राजनीति बहुत जटिल हो गई है। मेरा मानना है कि हिन्दुस्तान को सेक्युलर देश नहीं होना चाहिए था और शायद हमारी पहली संविधान सभा का भी यही मत था तभी उस सभा ने सर्वसम्मति से सेक्युलर शब्द को संविधान में शामिल नहीं किया था लेकिन अफसोस 1975–76 में इमरजेंसी लगाकर पूरे विपक्ष, मीडिया को जेलों में कैद करके देश पर जबरन सेक्युलर शब्द थोप दिया गया और लिबरल के टी शाह की सिफारिश पर आधे से ज्यादा संविधान को बदल दिया गया। यहां ध्यान देने वाली बात ये भी है कि जब पहली संविधान सभा ने सेक्युलर प्रस्ताव रद्द किया था तो उसके पीछे एक तर्क ये भी था कि अगर हम देश को धर्म निरपेक्ष मानते हैं तो फिर जातिगत आरक्षण की अवधारणा क्यों?सभा के सदस्यों के सामने ये एक जटिल समस्या थी क्योंकि अगर सेक्युलर बनाया तो आरक्षण का विचार बदलना पड़ेगा जिससे उस समय की एक बहुत बड़