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ऐसे ही कोई इंजीनियर नही बन जाता.......!

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आज आपके आसपास के लोग,पड़ोसी,रिश्तेदार,व्यवहारिक लोग,पुराने दोस्त,गांव के काका,शर्मा जी,गांव के बड़े बुजुर्ग आदि अक्सर ये ताना देते हुये मिल जाते हैं कि क्या मतलब है इंजीनियरिंग करने का,पढ़ाई खत्म करने के बाद जब नौकरी ही न मिले,पैसे न कमा पाओ| Follow us On Instagram कुछ लोग तो ये कहते हुए पाये जाते हैं कि शर्मा जी के बेटे को देखो,उसने इंजीनियरिंग नही की एक दुकान खोला है और खुद का बिजनेस करके लाखों कमाता है|ऐसे लोगों को शायद ये नही पता कि इंजीनियरिंग क्या होती है?ऐसे ही कोई इंजीनियर नही बन जाता उसके लिए कड़ी मेहनत व दृढ़ इच्छाशक्ति रखनी पड़ती है|एक आम विद्यार्थी जब इण्टर की परीक्षा पास करता है तो उसके सामने ये चुनौती होती है कि वह कौन से क्षेत्र में अपना करियर बनाने हेतु पढ़ाई करने का निर्णय लेवे| अपनी रूचि व इच्छानुरूप वह इंजीनियरिंग में प्रवेश लेता है जहां उसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है लेकिन वह अडिग रहता है,चाहे मैकेनिक्स विषय हो या अन्य| 50विषय,150प्रैक्टिकल्स व लगभग 200 परीक्षायें पास करने के बाद तब जाकर कोई इंजीनियर बनता है| इतना परिश्रम करने के बाद अगर कोई ये कह

धरती पर पानी कहां से आया.......?

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धरती पर पानी कहां से आया इसे लेकर हाल में हुई एक स्टडी में वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि कैसे सौर हवाओं के जरिए धरती पर पानी आया. इस स्टडी से अंतरिक्ष में जीवन की खोज को लेकर नई उम्मीद जगी है. इंग्लैंड स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो के वैज्ञानिकों टीम ने ये खुलासा किया है कि पृथ्वी बनने की प्रक्रिया के दौरान पानी से भरे उल्कापिंड और एस्टेरॉयड्स धरती से टकराए, जिसकी वजह से धरती पर पानी टिक गया और पृथ्वी पर बदलते मौसम से पानी की मात्रा को बढ़ने में मदद मिली.वैज्ञानिकों ने बताया कि उल्कापिंडों पर पानी की जो रासायनिक संरचना थी, वो धरती के पानी के मिलती नहीं थी. उल्कापिंडों से आए पानी में ड्यूटीरियम ज्यादा था, जो हाइड्रोजन का भारी रूप होता है. वैज्ञानिकों ने जापानी स्पेसक्राफ्ट हायाबूसा द्वारा साल 2010 में वापस धरती पर लाए एस्टेरॉयड्स के टुकड़े की जांच की थी. वैज्ञानिकों के मुताबिक, धूल के कणों में ऑक्सीजन होती है. सौर हवा के हाइड्रोजन से मिलने के बाद वह पानी बनता है. जब अंतरिक्ष में जमा धूल पानी से भर गई तो धूल कण भारी होने लगे. फिर वे आपस में मिलकर या किसी सतह से टकराकर एस्टेरॉयड्