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गीता उपदेश..!!

🌸✨ मन की शक्ति ✨🌸 🪷 “जो अपने विचारों को शुद्ध रखता है, उसे जीवन में कोई बाधा रोक नहीं सकती।” 🌿💫 💭 गीता का संदेश: संकल्प मजबूत हो तो कर्म स्वतः सिद्ध होता है, और जहाँ विश्वास हो — वहाँ भगवान साथ होते हैं। 🙏 🔥 उपदेश: 👉 मन को भय से मुक्त करो 💪 👉 सत्य और कर्म के मार्ग पर अडिग रहो 🌞 👉 सफलता तुम्हारे चरण चूमेगी। 🕊️ 📜 – दिव्य विचार 🦚 🌸 श्रीकृष्ण प्रेरणा 🌸 🕊️ मन को शांत रखो, तभी सही निर्णय ले पाओगे। 💫 क्रोध और लोभ को त्याग दो — यही सच्ची जीत है। 🌿 हर कार्य में समर्पण रखो, सफलता स्वयं आएगी। ❤️ दूसरों के सुख में अपना सुख ढूँढो, यही भक्ति है। 🪔 असंभव कुछ नहीं, बस विश्वास अटूट होना चाहिए। 🎯 कर्म पथ पर डटे रहो, यही जीवन का धर्म है। ❝ जो अपने मन को जीत लेता है, वह संसार को भी जीत लेता है। ❞🚩 🔥 वीरता और साहस – अभिमन्यु & कर्ण 🔥 💪 अभिमन्यु – कठिन हालात ⛰️ में भी साहस 🦁 और कर्तव्य 🏹 न छोड़ो। 🤲 कर्ण – विपरीत परिस्थितियों 🌪️ में भी दानशीलता ❤️ और सत्यनिष्ठा 📜 बनाए रखो। ⚡ सीखो – सपनों की जिद 🔥 और कर्तव्य का पालन 🏹 किसी से छीना नहीं जा सकता।

कर्ण व कृष्ण ...

कर्ण को महाभारत का सबसे दयनीय चरित्र माना जाता है। कर्ण को उसके वो अधिकार कभी नहीं मिले, जिनका वो पात्र था। कर्ण को वह सम्मान नहीं मिला, जिसका वह हकदार था। नहीं, वेदव्यास ने ऐसा कुछ नहीं लिखा, उन्होंने तो बस हर चरित्र के बारे में वैसा ही लिखा जैसा वो था। कर्ण दयनीय था, उसके साथ अन्याय हुआ था यह हम सोचते हैं क्योंकि महाभारत पढ़ते या सुनते समय हम जज की टोपी पहन लेते हैं। कर्ण जैसे ही हालात भगवान कृष्ण के भी थे। कर्ण हस्तिनापुर की राजवधु कुंती का पुत्र था। कृष्ण मथुरा की राजकुमारी और राजा शूरसेन की पुत्रवधु देवकी के पुत्र थे। लोकलाज के भय से कुंती ने कर्ण को गंगा में की गोद मे डाल दिया जहां से कर्ण को उठाकर अधिरथ और राधा ने पाला। कृष्ण को कंस के भय से वासुदेव ने यमुना पार कर यशोदा की गोद मे डाला जहाँ उनका लालन पालन नंद और यशोदा ने किया। कर्ण के गुरु भगवान परशुराम थे। परशुराम से ही कर्ण ने अस्त्र शस्त्र की शिक्षा प्राप्त की। भगवान कृष्ण के भी तीसरे गुरु परशुराम थे, जिन्होंने कृष्ण को पाशुपतास्त्र चलाना सिखाया। कर्ण के पालक पिता अधिरथ भीष्म पितामह के सारथी थे, लेकिन कर्ण ने कभी सारथी बनना स...