Reel life जगीरा vs Real life जगीरा
एक फिल्म है " #चाइना_गेट "। शायद आप सब लोगों ने ये फिल्म देखी होगी। इस फिल्म का एक सीन है, जब जगीरा डाकू अपने पूरे गिरोह के साथ देवदुर्ग गांव पर धावा बोल देता है। जगीरा गांव के बीचों-बीच खड़े होकर गांव के मुखिया को ललकार लगाता है कि वो कल तक जगीरा से जंग जारी रखने की बातें कर रहा था, अगर मुखिया के अंदर जरा सी भी हिम्मत है तो वो सामने आए और उससे मुकाबला करे।
उधर मुखिया हाथ मे एक कुल्हाड़ी लेकर जगीरा से भिड़ना चाहता है लेकिन उसकी पत्नी रोक देती है। इस बीच कुछ गांव वाले भी वहाँ आ जाते हैं और मुखिया को बताते हैं कि डाकुओं ने गांव को चारों तरफ से घेर लिया है। उधर जगीरा बार-बार मुखिया को ललकारता रहता है कि बाहर निकल और मुझसे मुकाबला कर। काफी समय तक जब मुखिया बाहर नहीं निकलता तो जगीरा धमकी देता है कि अगर मुखिया बाहर नहीं निकला तो वो गांव की औरतों और बच्चों को काटना शुरू कर देगा।
इस धमकी को सुनकर मुखिया का खून खौल जाता है और वो कुल्हाड़ी पकड़कर जगीरा के सामने पहुंच जाता है। वह बड़ी हिम्मत दिखाकर जगीरा और उसके साथियों को ललकार लगाता है कि यदि उन्होंने अपनी मां का दूध पिया है तो एक-एक करके मुझसे भिड़ो। यह ललकार सुनकर जगीरा मुखिया की तारीफ करता है "जे बात, इस पूरे गांव में एक ही तो मरद मिला है जो जगीरा से भिड़ने की हिम्मत रखता है। अब लड़ने में मजा आएगा।" इतना कहकर वो अपनी बंदूक छोड़कर घोड़े से उतर जाता है और खंजर निकालकर मुखिया से भिड़ जाता है।
अचानक जगीरा मुखिया से कहता है कि तूने तो अकेले लड़ने की बात कही थी फिर अपने बिटवा को साथ क्यों लाया? जैसे ही मुखिया अपने बेटे को देखने पीछे घूमता है, वहां उसका बेटा नहीं होता। इतनी देर में जगीरा खंजर से गर्दन पर वार करके मुखिया का काम तमाम कर देता है। मुखिया को मारने के बाद जगीरा एक जबरदस्त डायलॉग बोलता है।
"उलटखोपड़िये हमसे भिड़ने की हिम्मत तो जुटा लोगे लेकिन हमारे जैसा कमीनापन कहाँ से लाओगे? मेरे मन को भाया, मैं कुत्ता काट के खाया। लोमड़ी का दूध पीकर पला है ये जगीरा, हमसे ना भिड़ियो।"
जब भी मैं रील लाइफ के इस जगीरा और उसके गिरोह को देखता हूं तो स्वतः ही मेरा ध्यान रियल लाइफ के जगीरा #पप्पू ( #rahulgandhi )और उसके गिरोह इंडी गठबंधन की तरफ चला जाता है। यह व्यक्ति जगीरा से भी अव्वल दर्जे का कमीना है। जगीरा ने तो केवल बचपन मे ही लोमड़ी का दूध पिया था लेकिन इन मक्कारों के मुंह मे सुबह से शाम तक बस लोमड़ी के ही थन मौजूद होते हैं। आला दर्जे का मक्कार है ये।
बीच बीच में कुछ न कुछ टूलकिट ये लाता ही रहता है जब इसने सारे पैंतरे फेल हो गए तब इसे अहसास हुआ कि जब तक हिनू संगठित रहेगा तब तक सत्ता पाना असंभव है
इसलिए इसने हिनुओं को जातपात में बांटने का तोड़ निकाला है डिवाइड एंड रूल करो का ऐजेंडा चला रहा है
पहले जातिगत जनगणना की बात की अब ये नीइचता की पराकाष्ठा पर पहुंचते हुए हर स्तर पर जात पात की बात करनी शुरू कर दी है
ताजा मामला मिस इंडिया विजेताओं की जातियों का है
भाजपा चाहे कुछ भी कर ले, अगर नैतिकता के प्रश्नों में उलझी रहेगी तो पप्पू और उसके गिरोह का कुछ भी नहीं उखाड़ पायेगी। और इसे खत्म करने के लिए इससे भी अव्वल दर्जे का कमीनापन और मक्कारी जरूरी है। वरना वो दिन दूर नहीं जब यही पप्पू मीडिया की खब्रांडियों के बलबूते भाजपा और देश का सबसे बड़ा सिरदर्द बनने वाला है। इन चार पांच सालों में यदि इसका बोरिया बिस्तर गोल ना हुआ तो फिर ये नहीं रुकेगा,इतना तय मानकर चलो।🙋♂
#pappu #rahul #gandhi
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