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एक रोचक कहानी

8 साल का एक बच्चा 1 रूपये का सिक्का मुट्ठी में लेकर एक दुकान पर जाकर पूछने लगा, --क्या आपकी दुकान में ईश्वर मिलेंगे? दुकानदार ने यह बात सुनकर सिक्का नीचे फेंक दिया और बच्चे को निकाल दिया। बच्चा पास की दुकान में जाकर 1 रूपये का सिक्का लेकर चुपचाप खड़ा रहा! -- ए लड़के.. 1 रूपये में तुम क्या चाहते हो? -- मुझे ईश्वर चाहिए। आपकी दुकान में है? दूसरे दुकानदार ने भी भगा दिया। लेकिन, उस अबोध बालक ने हार नहीं मानी। एक दुकान से दूसरी दुकान, दूसरी से तीसरी, ऐसा करते करते कुल चालीस दुकानों के चक्कर काटने के बाद एक बूढ़े दुकानदार के पास पहुंचा। उस बूढ़े दुकानदार ने पूछा, -- तुम ईश्वर को क्यों खरीदना चाहते हो? क्या करोगे ईश्वर लेकर? पहली बार एक दुकानदार के मुंह से यह प्रश्न सुनकर बच्चे के चेहरे पर आशा की किरणें लहराईं ৷ लगता है इसी दुकान पर ही ईश्वर मिलेंगे !   बच्चे ने बड़े उत्साह से उत्तर दिया, ----इस दुनिया में मां के अलावा मेरा और कोई नहीं है। मेरी मां दिनभर काम करके मेरे लिए खाना लाती है। मेरी मां अब अस्पताल में हैं। अगर मेरी मां मर गई तो मुझे कौन खिलाएगा ? डाक्टर ने कहा है कि अब सिर्फ ईश्वर ही

Digital Marketing Tips

Digital Marketing / Online .... Digital Marketing Tips I think you'll agree with me when I say digital marketing -- and all its sub-categories, including SEO, social media, content creation, email, and more -- is critical for any company's growth in 2022 digital marketing can help you better engage prospects, turn prospects into leads, and ultimately convert leads into loyal, delighted customers. Keep reading to learn the 12 critical tips 1. Know your customer 2. Match your content to every stage of a buyer's journey. 3. Don't just write about your products or services. 4. Focus on the long-term. 5. Incorporate SEO into your overall content strategy. 6. Understand the big picture when analyzing an advertisement's performance. 7. Remain flexible as audience preferences shift. 8. Remain consistent in design when launching a campaign. 9. Become a growth leader for your company. 10. Personalize your content. 11. Try new things 12. Don't underestimate backlinks.

गिरगिट केजरीवाल के कश्मीर फाइल्स को यूट्यूब पर अपलोड कर देने के बयान पर फिल्म 1971 को लेकर याद आया एक वाकया

2004 में रामानंद सागर के पोते, अमृत सागर अपनी पहली फिल्म बनाने के सिलसिले में मनोज बाजपेयी से भेंट की। तब वे अपनी कहानी 'पेंट' पर मूवी बनाना चाहते थे। पर यह कहानी मनोज को नहीं जमी। उन्होंने कहा कि भले कुछ महीने ले लीजिए, लेकिन कोई दूसरी बढ़िया-सी कहानी लेकर आइए। कुछ महीने के बाद जब दुबारा भेंट हुई, तो अमृत सागर ने मनोज से कहा कि उनके पास उनके पिताजी, मोतीलाल सागर की 1973 में लिखी एक कहानी है। यह 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में 6 कैदियों की सच्ची और दर्दनाक घटनाओं पर आधारित है। कहानी पूरा सुनते ही मनोज ने कहा कि आपको सबसे पहले इसी पर फिल्म बनानी चाहिए। तब अमृत ने कहा कि लेकिन, इसमें तो लड़ाई के दृश्य होंगे, काफी खर्चा होगा। मनोज ने उचित तरीके से समझाया। फिर यह कहने पर कि अभी तो यह आइडिया है, पर इसको फिल्म-स्क्रिप्ट के रूप में भी लिखना होगा; मनोज ने अपने पुराने दोस्त पीयूष मिश्रा का नाम सुझाया। पीयूष उन्हीं दिनों मुंबई आए हुए थे, और काम की तलाश में थे। अमृत और पीयूष, दोनों ने मिलकर कड़ी मेहनत करके पूरी पटकथा लिखी। फिल्म का नाम रखा गया—'1971'। इसके बाद कलाकारों का चयन करना श

The Kashmir Files - एक अलग दृष्टिकोण से

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The Kashmir Files - एक अलग दृष्टिकोण से फ़िल्म में चार किरदार हैं मिथुन चक्रवर्ती - ब्रह्म दत्त - ये सरकार का रूप हैं पुनीत इस्सर - हरि नारायण - ये पुलिस अफसर हैं, कानून व्यवस्था का रूप अतुल श्रीवास्तव - विष्णु -ये पत्रकार हैं, लोकतंत्र का चौथा स्तंभ प्रकाश बेलावड़ी - महेश कुमार - ये डॉक्टर हैं, ये हमारा Service Class हैं। फ़िल्म में दिखाया है, कि जब कश्मीर घाटी में ये अत्याचार हो रहे थे, तो हमारे देश के ये चारों स्तंभ चुप थे, बेबस थे, और नकारा भी थे। शारदा (भाषा सुम्बली) और शिवा (child actor) वो दो महत्वपूर्ण चीजें हैं जो हमने खो दी हैं......शारदा मतलब सरस्वती और ज्ञान...कश्मीर हजारों साल से हमारे ज्ञान का केंद्र था, जो इस अत्याचार के बाद खो गया है.....वहीं शिवा धर्म का स्वरूप है....जिसकी जबरन हत्या कर दी गयी। वहीं दूसरे पक्ष में कुछ राजनेता हैं (अब्दुल्ला), हमारा Intelligencia पल्लवी जोशी (प्रोफेसर राधिका मेनन+अरुंधति रॉय) और असामाजिक तत्व (बिट्टा/यासीन मलिक) हैं.....जिन्होंने एक मजबूत गठजोड़ बना रखा है.....इन्होंने एक छद्म आवरण डाल दिया है समाज में, जिससे हर कोई दिग्भ्रमित ह

The Kashmir Files

कुछ बातें जो आप सबको #TheKashmirFiles के बारे में पता होनी चाहिए - पहले बॉलीवुड ने बहिष्कार किया - फिर कपिल शर्मा ने अपने शो में प्रमोट करने से मना किया - फिर फ़िल्म को रोकने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका डाली गई - फ़िल्म के मेकर्स और प्रोड्यूसर्स को जान से मारने की धमकी दी गयी - कई केस और मुकदमे हुए - न जाने किस किस से दुश्मनी हुई - मीडिया हाउस द्वारा फ़िल्म का प्रचार न के बराबर, या नकारात्मक प्रचार - रिलीज के बाद बेहद कम स्क्रीन दिए गए उफ्फ विवेक कितना बड़ा रिस्क लिया तुमने, वाकई यह जानबूझकर अंधेरी खाई में कूदने जैसा था लेकिन फिर राष्ट्रवादी आये मैदान में, आगे जो हुआ वह इतिहास है, पूरी बाजी पलट गई - फ़िल्म की बम्पर ओपनिंग - दनादन हाउस फुल होते शो - 550 से बढ़कर लगभग 2000 स्क्रीन तीसरे दिन तक आते आते - देश विदेश से ढेर सारा प्यार और बम्पर कलेक्शन - स्वयम मोदी जी का प्रमोट करना - हरियाणा, गुजरात, कर्नाटक, उत्तराखण्ड, गोआ, त्रिपुरा, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में फ़िल्म का टैक्स फ्री होना इस सब से यह पता चलता है कि सच बयान करना इतना भी आसान नहीं होता, वह भी उस समाज के भरोसे जो इतनी गहरी न

ट्रेन में सफर

एक वृद्ध ट्रेन में सफर कर रहा था, संयोग से वह कोच खाली था। तभी 8-10 लड़के उस कोच में आये और बैठ कर मस्ती करने लगे। एक ने कहा - "चलो, जंजीर खीचते है". दूसरे ने कहा - "यहां लिखा है 500 रु जुर्माना ओर 6 माह की कैद." तीसरे ने कहा - "इतने लोग है चंदा कर के 500 रु जमा कर देंगे." चन्दा इकट्ठा किया गया तो 500 की जगह 1200 रु जमा हो गए. जिसमे 200 के तीन नोट, 2 नोट पचास के बांकी सब 100 के थे चंदा पहले लड़के के जेब मे रख दिया गया। तीसरे ने कहा, "जंजीर खीचते है, अगर कोई पूछता है, तो कह देंगे बूढ़े ने खीचा है। पैसे भी नही देने पड़ेंगे तब।" बूढ़े ने हाथ जोड़ के कहा, "बच्चो, मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है, मुझे क्यो फंसा रहे हो?" लेकिन नही । जंजीर खीची गई। टीटीई आया सिपाही के साथ, लड़कों ने एक स्वर से कहा, "बूढे ने जंजीर खीची है।" टीटी बूढ़े से बोला, "शर्म नही आती इस उम्र में ऐसी हरकत करते हुए?" बूढ़े ने हाथ जोड़ कर कहा, "साहब" मैंने जंजीर खींची है, लेकिन मेरी बहुत मजबूरी थी।" उसने पूछा, "क्या मजबूरी थी?" बूढ़े ने कहा, &

क्या जानते हो आज युक्रेन से आ रहे भारत के छात्रों को पोलेंड बिना वीजा के क्यो आने दे रहा अपने देशमे?? नेकी का बीज किसने बोया?

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क्या जानते हो आज युक्रेन से आ रहे भारत के छात्रों को पोलेंड बिना वीजा के क्यो आने दे रहा अपने देशमे?? नेकी का बीज किसने बोया 1989 में जब पोलैंड रूस से अलग हुआ तो यहां के यंलोगों ने आभार जताने के लिए पोलैंड की राजधानी में जाम साहेब के नाम पर एक चौक का नाम रखा. पिछले कुछ दिनों से आपने पोलैंड का नाम खूब सुना होगा. कुछ लोगों ने इस देश की यात्रा भी की होगी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि पोलैंड की राजधानी वॉरसॉ में जामनगर के महाराजा दिग्विजय सिंह के नाम पर एक चौक क्यों समर्पित किया गया है? ये कहानी भारत के वसुधैव कुटुंबकम की फिलॉस्फी से जुड़ी है. बात दूसरे विश्वयुद्ध की है, जब 1939 में जर्मनी और रूस की सेना ने पोलैंड पर कब्जा कर लिया. इस युद्ध में अपने देश को बचाने के लिए पोलैंड के हजारों सैनिक मारे गए और उनके बच्चे अनाथ हो गए. 1941 तक ये बच्चे पोलैंड के शिविरों में रहते रहे, लेकिन इसके बाद रूस ने बच्चों को वहां से भगाना शुरू कर दिया. तब 600 से ज्यादा बच्चे अकेले या अपनी मां के साथ एक नाव पर सवार होकर जान बचाने के लिए निकले थे, लेकिन दर्जनों देशों ने उन्हें शरण देने से इनकार कर दिया