The Kashmir Files - एक अलग दृष्टिकोण से

The Kashmir Files - एक अलग दृष्टिकोण से
फ़िल्म में चार किरदार हैं

मिथुन चक्रवर्ती - ब्रह्म दत्त - ये सरकार का रूप हैं
पुनीत इस्सर - हरि नारायण - ये पुलिस अफसर हैं, कानून व्यवस्था का रूप
अतुल श्रीवास्तव - विष्णु -ये पत्रकार हैं, लोकतंत्र का चौथा स्तंभ
प्रकाश बेलावड़ी - महेश कुमार - ये डॉक्टर हैं, ये हमारा Service Class हैं।

फ़िल्म में दिखाया है, कि जब कश्मीर घाटी में ये अत्याचार हो रहे थे, तो हमारे देश के ये चारों स्तंभ चुप थे, बेबस थे, और नकारा भी थे।

शारदा (भाषा सुम्बली) और शिवा (child actor) वो दो महत्वपूर्ण चीजें हैं जो हमने खो दी हैं......शारदा मतलब सरस्वती और ज्ञान...कश्मीर हजारों साल से हमारे ज्ञान का केंद्र था, जो इस अत्याचार के बाद खो गया है.....वहीं शिवा धर्म का स्वरूप है....जिसकी जबरन हत्या कर दी गयी।

वहीं दूसरे पक्ष में कुछ राजनेता हैं (अब्दुल्ला), हमारा Intelligencia पल्लवी जोशी (प्रोफेसर राधिका मेनन+अरुंधति रॉय) और असामाजिक तत्व (बिट्टा/यासीन मलिक) हैं.....जिन्होंने एक मजबूत गठजोड़ बना रखा है.....इन्होंने एक छद्म आवरण डाल दिया है समाज में, जिससे हर कोई दिग्भ्रमित है, और अत्याचारों के खिलाफ आवाज़ नही उठा पा रहा है।

वहीं दूसरी तरफ हमारे चारों स्तंभ और पुष्कर नाथ (अनुपम खेर) इस पूरे narrative की लड़ाई को लड़ रहे हैं, लेकिन सफल नही हो पा रहे हैं।

लेकिन सवाल है कि लड़ क्यों रहे हैं, क्या चीज है जिस पर दोनों ही पक्ष कब्जा करना चाहते हैं??

वो चीज है कृष्णा (दर्शन कुमार), जो हमारे समाज, हमारी चेतना, हमारे युवाओं का प्रतीक है.....जो शक्तिशाली है, स्मार्ट है, अच्छा बोलता है, कमाता है.....लेकिन दिग्भ्रमित है इसलिए सच से दूर है।

दोनों पक्ष लड़ते हैं, अपना अपना सच परोसते हैं, क्योंकि दोनों ही पक्षो को पता है, कि इस धर्म और अधर्म के युद्ध मे जीत अंत मे उसी की होगी जिसके पक्ष में कृष्ण हैं....जहां कृष्ण हैं वहीं धर्म है और वहीं सत्य भी है.......

और फिर अंत मे कृष्णा का 10 मिनिट का भाषण दर्शाता है कि समाज के युवाओं को अब सच समझ आ गया है......और जब आप सच के रास्ते पर होते हैं, तो आप सही होते हैं।

इस बीच मे अर्जुन कौन है??

अर्जुन और कोई नही.....आप,मैं और हम सब हैं......इस कलयुग के अर्जुन हम ही हैं, हम ही हैं जिनके कंधों पर गांडीव है, और इस धर्म-अधर्म के युद्ध मे हमें ही सोचना है कि किसका पक्ष लेना है।

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