धरती पर पानी कहां से आया.......?

धरती पर पानी कहां से आया इसे लेकर हाल में हुई एक स्टडी में वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि कैसे सौर हवाओं के जरिए धरती पर पानी आया. इस स्टडी से अंतरिक्ष में जीवन की खोज को लेकर नई उम्मीद जगी है.

इंग्लैंड स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो के वैज्ञानिकों टीम ने ये खुलासा किया है कि पृथ्वी बनने की प्रक्रिया के दौरान पानी से भरे उल्कापिंड और एस्टेरॉयड्स धरती से टकराए, जिसकी वजह से धरती पर पानी टिक गया और पृथ्वी पर बदलते मौसम से पानी की मात्रा को बढ़ने में मदद मिली.वैज्ञानिकों ने बताया कि उल्कापिंडों पर पानी की जो रासायनिक संरचना थी, वो धरती के पानी के मिलती नहीं थी. उल्कापिंडों से आए पानी में ड्यूटीरियम ज्यादा था, जो हाइड्रोजन का भारी रूप होता है.

वैज्ञानिकों ने जापानी स्पेसक्राफ्ट हायाबूसा द्वारा साल 2010 में वापस धरती पर लाए एस्टेरॉयड्स के टुकड़े की जांच की थी.

वैज्ञानिकों के मुताबिक, धूल के कणों में ऑक्सीजन होती है. सौर हवा के हाइड्रोजन से मिलने के बाद वह पानी बनता है. जब अंतरिक्ष में जमा धूल पानी से भर गई तो धूल कण भारी होने लगे. फिर वे आपस में मिलकर या किसी सतह से टकराकर एस्टेरॉयड्स बन गए. पानी से भरे ये एस्टेरॉयड या उल्कापिंड धरती से टकराए तो यहां पर सागरों का निर्माण हुआ.

वैज्ञानिकों का कहना है कि सौर मंडल में इस तत्व से भरे हुए उल्कापिंडों पर पानी की मौजूदगी आज भी होगी, लेकिन इसका रूप अलग हो सकता है.

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