गिरगिट केजरीवाल के कश्मीर फाइल्स को यूट्यूब पर अपलोड कर देने के बयान पर फिल्म 1971 को लेकर याद आया एक वाकया
2004 में रामानंद सागर के पोते, अमृत सागर अपनी पहली फिल्म बनाने के सिलसिले में मनोज बाजपेयी से भेंट की। तब वे अपनी कहानी 'पेंट' पर मूवी बनाना चाहते थे। पर यह कहानी मनोज को नहीं जमी। उन्होंने कहा कि भले कुछ महीने ले लीजिए, लेकिन कोई दूसरी बढ़िया-सी कहानी लेकर आइए। कुछ महीने के बाद जब दुबारा भेंट हुई, तो अमृत सागर ने मनोज से कहा कि उनके पास उनके पिताजी, मोतीलाल सागर की 1973 में लिखी एक कहानी है। यह 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में 6 कैदियों की सच्ची और दर्दनाक घटनाओं पर आधारित है। कहानी पूरा सुनते ही मनोज ने कहा कि आपको सबसे पहले इसी पर फिल्म बनानी चाहिए। तब अमृत ने कहा कि लेकिन, इसमें तो लड़ाई के दृश्य होंगे, काफी खर्चा होगा। मनोज ने उचित तरीके से समझाया। फिर यह कहने पर कि अभी तो यह आइडिया है, पर इसको फिल्म-स्क्रिप्ट के रूप में भी लिखना होगा; मनोज ने अपने पुराने दोस्त पीयूष मिश्रा का नाम सुझाया। पीयूष उन्हीं दिनों मुंबई आए हुए थे, और काम की तलाश में थे। अमृत और पीयूष, दोनों ने मिलकर कड़ी मेहनत करके पूरी पटकथा लिखी। फिल्म का नाम रखा गया—'1971'। इसके बाद कलाकारों का चयन करना श...