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Udaipur Yatra blog

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Welcome to Udaipur, the city of lakes and palaces! Located in the Indian state of Rajasthan, Udaipur is a popular tourist destination known for its rich history, vibrant culture, and stunning architecture. If you're planning a trip to Udaipur, here are some of the top attractions and things to do in the city: City Palace: Built in the 16th century, the City Palace is a magnificent complex of palaces, courtyards, and gardens. It offers stunning views of Lake Pichola and is a must-visit for history and architecture enthusiasts. Lake Pichola: Udaipur is known as the city of lakes, and Lake Pichola is the most famous of them all. Take a boat ride on the lake and admire the stunning views of the City Palace and other landmarks. Jag Mandir: Located on an island in Lake Pichola, Jag Mandir is a beautiful palace with a rich history. It was used as a summer palace by the Maharana of Mewar and has hosted many royal events over the centuries. Fateh Sagar Lake: Another popular lake in Udaipur...

112 नम्बर क्या है ❓

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112 नम्बर क्या है ❓ फ़ोन लॉक होने पर भी कैसे कर सकते हैं मदद या बचा सकते हैं किसी कि जान ❓ 🛑Emergency Service के लिए अब सिंगल हेल्पलाइन नंबर जारी कर दिया गया है. अब जब भी आपको मदद की जरूरत हो, आप खतरे में हों या कोई गंभीर रूप से घायल हो गया हो, तो तुरंत 112 नंबर डायल कीजिए. इसके अलावा अगर आपके सामने मारपीट, हत्या, डकैती या हंगामे जैसे गंभीर क्राइम हो रहे हों, तो भी आप 112 पर डायल कर सकते हैं. ✅इससे पहले इन सभी सुविधाओं के लिए अलग-अलग नंबर डायल करने होते थे. पुलिस (100), एंबुलेंस सेवा (108), वुमन हेल्पलाइन नंबर (1090) और फायर स्टेशन (101) जैसे जरूरी नंबरों को अलग-अलग सेव किया करते थे. 🛑112 नंबर को ही क्यों सेलेक्ट किया गया❓ सबसे पहले साल 1972 में यूरोपियन कॉन्फ्रेंस ऑफ पोस्टल एंड टेलिकम्युनिकेशंस एडमिनिस्ट्रेशंस (CEPT) ने 112 नंबर को इमरजेंसी नंबर के रूप में चुना था. उन दिनों रोटरी टाइप फोन (जिन फोन में नंबर को घुमाकर डायल किया जाता है) हुआ करते थे. इन फोन में 112 नंबर डायल करने में कम समय और कम रोटेशन की जरूरत होती थी. हालांकि अब रोटरी फोन की जगह मोबाइल फोन आ गए हैं. लेकिन फोन में भी...

🛑पेट्रोल पंप पर ये 6 चीजें होती हैं फ्री, न दे तो करें शिकायत

🛑पेट्रोल पंप पर ये 6 चीजें होती हैं फ्री, न दे तो करें शिकायत लिखित शिकायत करने के लिए हर पेट्रोल पंप पर एक शिकायत बुक होती है, जिसे कोई भी मांग सकता है।  इसमें शिकायत लिखने के बाद यह सीधे पेट्रोलियम कंपनियों के पास जाती है, जिस पर बाद में जांच होती है और सही होने पर कार्रवाई भी की जाती है।  अगर पेट्रोल पंप वाला आपको शिकायत पुस्तका देने से मना करें तो आप आनॅलाइन भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। ऑनलाइन शिकायत करने के लिए आपको मंत्रालय की वेबसाइट पर जाना होगा। इसका पता है - http://pgportal.gov.in/ ✅पेट्रोल पंप पर मिलने वाली पहली फ्री सेवा इमर्जेंसी पड़ने पर आप पेट्रोल पंप से फ्री फोन कॉल की सुविधा ले सकते हैं। सड़क हादसे में जख्मी किसी शख्स के परिजनों को कॉल करना हो या फिर आपको अपने ही किसी परिचित को बीच रास्ते में ही जरूरी फोन करना हो तो आप इस सुविधा का लाभ ले सकते हैं ✅पेट्रोल पंप पर मिलने वाली दूसरी फ्री सेवा आपको लगता है कि पेट्रोल पंप पर फ्यूल की क्‍वालिटी अच्‍छी नहीं है, तो आप फिल्टर पेपर लेकर उसे चेक कर सकते हैं। यह फिल्‍टर पेपर से हर पेट्रोल पर होना जरूरी है। इससे पेट्रोल य...

🔴 आधार कार्ड के साथ कभी न करें ये गलतियां, नहीं तो पड़ सकता है पछताना ❗️

🔴 आधार कार्ड के साथ कभी न करें ये गलतियां, नहीं तो पड़ सकता है पछताना ❗️ ✔︎ साल दर साल आधार संबंधित फ्रॉड बढ़ते जा रहे हैं।  ✔︎अधिकतर फ्रॉड इस कारण भी होते हैं, क्योंकि आधार का इस्तेमाल करने वालों के पास इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं होती है, किस व्यक्ति से कितनी जानकारी साझा करनी चाहिए।  ✔︎साइबर क्रिमिनल आधार का इस्तेमाल करके क्रेडिट कार्ड, बैंक अकाउंट, लोन और अन्य ट्रांजेक्शन आदि का फ्रॉड कर रहे हैं।  ✔︎साइबर क्रिमिनल फर्जी पहचान के लिए आधार-मोबाइल फोन लिंकिंग का भी इस्तेमाल करते हैं।   ✔︎ऐसे में लोगों को आधार से संबंधित डाटा किसी दूसरे के साथ साझा करने से पहले सोचना चाहिए। 🔴 आधार की जानकारी करें सुरक्षित: ✔︎यूजर्स को बैंक अकाउंट, लोन, रेंट रजिस्ट्रेशन, इंश्योरेंस कंपनियों और म्यूचुअल फंड जैसी कई सर्विस का लाभ लेने के लिए अपनी आधार संबंधित जानकारी साझा करने के लिए कहा जाता है।  ✔︎ऐसे में आपको यह जानना चाहिए कि आपको यह जानकारी असलियत में कहां जमा करनी है और कहां पर नहीं करनी है। ✔︎ऐसे में आपको हर किसी को अपनी आधार जानकारी नहीं देनी चाहिए। जैसे कि कुछ...

मोदी सरकार अब कितने दिनों की मेहमान है?

नेहरू जी को छोड़ दें तो शायद मोदी आज़ाद भारत के एकमात्र नेता रहेंगे जो अपराजेय रहे जब जनता सीधे उनको चुन या रिजेक्ट कर रही थी। ये एक विशिष्ट उपलब्धि इसलिए है क्योंकि उनका चुनाव 80% लोगों से शुरू होता है, 20% मुस्लिम आबादी में से मोदी को एक भी वोट नही मिलता। मज़ेदार बात ये है कि आज तक भारत का कोई प्रधानमंत्री 50% वोट नही पा सका। नेहरू भी जिनके खिलाफ कोई विपक्ष ही नही था वो भी 48% पर ही रुक गए, इंदिरा गांधी तो अपने चरम पर भी 43% पा सकी । जबकि नेहरू को तो खुद गांधी ने चुना था, इंदिरा गांधी को परिवार से होने का फायदा मिला। मोदी खुद के दम पर नीचे से उपर आए और 45% जनता की पसन्द बने।  राजनेताओं को वोट के लिए ड्रामेबाज़ी तो करनी ही पड़ती है।नेहरू जी चुनावों में जनसंघ पर इल्ज़ाम लगाते थे कि इन्होंने गांधी को मारा जबकि अदालत से कभी कुछ सिद्ध नही हुआ था। इंदिरा गांधी हमेशा विक्टिम कार्ड खेलती रही, भाषणों में बोलती रही कि ये लोग मुझे मार डालेंगे( आपरेशन ब्लू स्टार के भी बहुत पहले से)। मोदी भी इस कला में माहिर हैं। अभी उत्तरप्रदेश चुनावों की बड़ी चर्चा है, मोदी की रैलियां शुरू होते ही असली खेला होगा...

भगवान राम की अंगूठी व हनुमान

भगवान राम जानते थे कि उनकी मृत्यु का समय हो गया है। वह जानते थे कि जो जन्म लेता है उसे मरना ही पड़ता है। यही जीवन चक्र है। और मनुष्य देह की सीमा और विवशता भी यही है। उन्होंने कहा... “यम को मुझ तक आने दो। बैकुंठ धाम जाने का समय अब आ गया है।”  मृत्यु के देवता यम स्वयं अयोध्या में घुसने से डरते थे। क्योंकि उनको राम के परम भक्त और उनके महल के मुख्य प्रहरी हनुमान से भय लगता था। उन्हें पता था कि हनुमानजी के रहते यह सब आसान नहीं। भगवान श्रीराम इस बात को अच्छी तरह से समझ गए थे कि, उनकी मृत्यु को अंजनी पुत्र कभी स्वीकार नहीं कर पाएंगे, और वो रौद्र रूप में आ गए, तो समस्त धरती कांप उठेगी। उन्होंने सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा से इस विषय मे बात की। और अपने मृत्यु के सत्य से अवगत कराने के लिए राम जी ने अपनी अंगूठी को महल के फर्श के एक छेद में से गिरा दिया! और हनुमान से इसे खोजकर लाने के लिए कहा।हनुमान जी ने स्वयं का स्वरुप छोटा करते हुए बिल्कुल भंवरे जैसा आकार बना लिया... और अंगूठी को तलाशने के लिये उस छोटे से छेद में प्रवेश कर गए। वह छेद केवल छेद नहीं था, बल्कि एक सुरंग का रास्ता था, जो पाता...

कर्ण व कृष्ण ...

कर्ण को महाभारत का सबसे दयनीय चरित्र माना जाता है। कर्ण को उसके वो अधिकार कभी नहीं मिले, जिनका वो पात्र था। कर्ण को वह सम्मान नहीं मिला, जिसका वह हकदार था। नहीं, वेदव्यास ने ऐसा कुछ नहीं लिखा, उन्होंने तो बस हर चरित्र के बारे में वैसा ही लिखा जैसा वो था। कर्ण दयनीय था, उसके साथ अन्याय हुआ था यह हम सोचते हैं क्योंकि महाभारत पढ़ते या सुनते समय हम जज की टोपी पहन लेते हैं। कर्ण जैसे ही हालात भगवान कृष्ण के भी थे। कर्ण हस्तिनापुर की राजवधु कुंती का पुत्र था। कृष्ण मथुरा की राजकुमारी और राजा शूरसेन की पुत्रवधु देवकी के पुत्र थे। लोकलाज के भय से कुंती ने कर्ण को गंगा में की गोद मे डाल दिया जहां से कर्ण को उठाकर अधिरथ और राधा ने पाला। कृष्ण को कंस के भय से वासुदेव ने यमुना पार कर यशोदा की गोद मे डाला जहाँ उनका लालन पालन नंद और यशोदा ने किया। कर्ण के गुरु भगवान परशुराम थे। परशुराम से ही कर्ण ने अस्त्र शस्त्र की शिक्षा प्राप्त की। भगवान कृष्ण के भी तीसरे गुरु परशुराम थे, जिन्होंने कृष्ण को पाशुपतास्त्र चलाना सिखाया। कर्ण के पालक पिता अधिरथ भीष्म पितामह के सारथी थे, लेकिन कर्ण ने कभी सारथी बनना स...