Posts

Reel life जगीरा vs Real life जगीरा

एक फिल्म है " #चाइना_गेट "। शायद आप सब लोगों ने ये फिल्म देखी होगी। इस फिल्म का एक सीन है, जब जगीरा डाकू अपने पूरे गिरोह के साथ देवदुर्ग गांव पर धावा बोल देता है। जगीरा गांव के बीचों-बीच खड़े होकर गांव के मुखिया को ललकार लगाता है कि वो कल तक जगीरा से जंग जारी रखने की बातें कर रहा था, अगर मुखिया के अंदर जरा सी भी हिम्मत है तो वो सामने आए और उससे मुकाबला करे। उधर मुखिया हाथ मे एक कुल्हाड़ी लेकर जगीरा से भिड़ना चाहता है लेकिन उसकी पत्नी रोक देती है। इस बीच कुछ गांव वाले भी वहाँ आ जाते हैं और मुखिया को बताते हैं कि डाकुओं ने गांव को चारों तरफ से घेर लिया है। उधर जगीरा बार-बार मुखिया को ललकारता रहता है कि बाहर निकल और मुझसे मुकाबला कर। काफी समय तक जब मुखिया बाहर नहीं निकलता तो जगीरा धमकी देता है कि अगर मुखिया बाहर नहीं निकला तो वो गांव की औरतों और बच्चों को काटना शुरू कर देगा। इस धमकी को सुनकर मुखिया का खून खौल जाता है और वो कुल्हाड़ी पकड़कर जगीरा के सामने पहुंच जाता है। वह बड़ी हिम्मत दिखाकर जगीरा और उसके साथियों को ललकार लगाता है कि यदि उन्होंने अपनी मां का दूध पिया है तो एक-एक करके म...

महाभारत के नजरिए से आज का भारत

Top trending deals एक पिता ने अपने पुत्र को "महाभारत" की कथा सुनाते हुए कहा… *महाभारत से पहले कृष्ण भी गए थे दुर्योधन के दरबार में. यह प्रस्ताव लेकर, कि हम युद्ध नहीं चाहते.... "तुम पूरा राज्य रखो".... पाँडवों को सिर्फ पाँच गाँव दे दो... वे चैन से रह लेंगे, तुम्हें कुछ नहीं कहेंगे.। बेटे ने पूछा - "पर इतना असंगत प्रस्ताव लेकर कृष्ण दुर्योधन के दरबार में क्यों गए थे …? अगर दुर्योधन प्रस्ताव स्वीकार कर लेता तो..?? Best deals पिता :- नहीं करता....! कृष्ण को पता था कि वह दुर्योधन कभी प्रस्ताव स्वीकार नहीं करेगा... *यह उसके मूल चरित्र के विरुद्ध था"   Best deals पुत्र :- जब कृष्ण दुर्योधन के चरित्र से परिचित थे तो फिर यह प्रस्ताव लेकर गए ही क्यों थे..? "वे तो सिर्फ यह सिद्ध करने गए थे कि दुर्योधन कितना अभिमानी और कितना अन्यायी था।" Wow deals on shopping click now *वे पाँडवों को सिर्फ यह दिखाने गए थे, कि देखो.. युद्ध तो तुमको लड़ना ही होगा... हर हाल में... अब भी कोई शंका है तो निकाल दो....मन से. तुम कितना भी संतोषी हो जाओ, कितना भी चाहो कि "घर में...

Pros and Cons of artificial intelligence (AI)

Wow! deals Click me Here are some pros and cons of artificial intelligence (AI) : Pros: - Streamlining and automating repetitive tasks - Decreasing human error and risk - Availability 24/7 - Unbiased decision making - Cost reduction - Better data acquisition and analysis - Faster decision-making - Identifies patterns - Provides digital assistance - Excels at working with large data sets Cons: - Costly implementation and significant potential for degradation over time - Lack of emotion, creativity, and transparency Loot deal on Shopping Click here - Absence of ability to learn from mistakes - Potential to reduce jobs for human workers - Ethical concerns - Potential for human laziness - Concerns about data security and privacy - High dependency on AI Wow deals on Top brands click me

U P teachers protest

I disagree with the Yogi government's approach to education. I too have studied in a primary school up to class 5, but back then, teachers only had to teach, not perform various other tasks.Today, primary school teachers in Uttar Pradesh are burdened with numerous responsibilities, making their job extremely challenging. "If a student is not coming to school, then they are forcibly caught in the village and brought to school, their clothes are getting washed, their Aadhaar cards are being made, and so on. The situation is such that today, a primary school teacher is doing all the work except teaching." In other words, the article is highlighting how primary school teachers in Uttar Pradesh are being burdened with various non-teaching tasks, such as: - Forcing absent students to attend school - Washing students' clothes - Creating Aadhaar cards for students Instead of focusing solely on teaching, teachers are being asked to perform these additional tasks, which is affe...

बाबा नीब करोली और उनके अद्भुत चमत्कार

 "बाबा नीब करोली और उनके अद्भुत चमत्कार": 1. Baba Neeb Karori Ji Maharaj was a revered saint and mystic who bestowed his grace on countless devotees. His extraordinary powers and miracles continue to inspire and guide us on the path of spirituality. 2. One of his most remarkable miracles was the manifestation of the divine idol of Lord Hanuman at the famous Hanuman Garhi temple in Nainital. Devotees flock there to seek blessings and witness the divine presence. 3. Baba Ji's compassion knew no bounds. He healed the sick, consoled the grieving, and guided the lost. His mere presence would transform lives, filling hearts with love, peace, and devotion. 4. His ashram in Kainchi, Uttarakhand, remains a sacred pilgrimage site, radiating an aura of spiritual energy. Devotees from far and wide come to seek his blessings and experience the magic of his presence. 5. Let us cherish the legacy of Baba Neeb Karori Ji Maharaj and strive to follow his teachings of love, kindness, and se...

बड़ा ही महत्व है - Just for fun

1)सर्दियों में धूप का,मीटिंग में #जूम का बड़ा ही महत्व है 2)महामारी में #कोरोना का,धातुओं में #सोना का बड़ा ही महत्व है 3)ब्रम्हांड में अम्बर का,महीने में नवंबर का बड़ा ही महत्व है 4)तूफान में आंधी का,नोटों पर गांधी का बड़ा ही महत्व है 5)खेतों पर जोत का,काम पर #वोट का बड़ा ही महत्व है 6)परीक्षा में पढ़ाई का, सर्दी में रजाई का बड़ा ही महत्व है 7)राजनीति में #कमल का,अजय के लिए #विमल का बड़ा ही महत्व है 8)युवाओं में #प्यार का,आम के अचार का बड़ा ही महत्व है 9)जायदाद में वारिस का,किसानी में बारिश का बड़ा ही महत्व है 10)प्राइवेट जेट का, मोबाइल नेट का बड़ा ही महत्व है आप भी ऐसे ही मजेदार "महत्व" बनाइये और कमेंट बॉक्स में शेयर कीजिए।ये हमारी तरफ से एक छोटा सा प्रयास है इस चुनौतीपूर्ण माहौल में लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाने का। आज हमारे जीवन के कुछ बड़े महत्व

90 के दशक के बच्चे: आज की तेजी से बदलती दुनिया में परंपरा और प्रौद्योगिकी के बीच एक पुल

Image
90 का दशक मानव इतिहास में एक अनूठा युग था जिसने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से परिवर्तन देखा। इंटरनेट के आगमन, वैश्वीकरण और नई तकनीकों के जन्म ने 90 के दशक को एक रोमांचक और परिवर्तनकारी समय बना दिया। जो लोग इस युग में पैदा हुए और 90 के दशक में बड़े हुए, उन्हें अक्सर 90 के दशक का बच्चा कहा जाता है। इन व्यक्तियों का जीवन पर एक अनूठा दृष्टिकोण है, जो उन्हें वृद्धावस्था और नई पीढ़ी के बीच एक बफर बनाता है। 90 के दशक के बच्चों ने इंटरनेट, सोशल मीडिया और स्मार्टफोन के बिना एक ऐसी दुनिया का अनुभव किया, जो 2000 के दशक तक मुख्यधारा नहीं थी। वे बाहर खेलते हुए, किताबें पढ़ते हुए, कार्टून देखते हुए और दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताते हुए बड़े हुए। उनका बचपन सादगी और मासूमियत से भरा हुआ था। हालाँकि, जैसे-जैसे वे बड़े हुए, उन्होंने अपने आसपास की दुनिया के तेजी से परिवर्तन को देखा। इंटरनेट और सोशल मीडिया सर्वव्यापी हो गए, और प्रौद्योगिकी एक अभूतपूर्व गति से उन्नत हुई। 90 के दशक के बच्चे पुरानी और नई पीढ़ी के बीच एकदम सही बफर हैं... वे नॉन मोबाइल से लेकर एंड्रॉइड 5जी तक के अंतर को...