कानून से खिलवाड़ क्यों ?

       

किसी देश का कानून वहाँ के अपराधियों को सजा देने,आम जनता के अधिकारों की रक्षा करने व अपराधियों में भय पैदा करने के लिए होता है लेकिन हमारे देश में ऐसा नहीं है,यहाँ अपराधी इसी कानून का फायदा उठाकर जीवन भर ऐशो-आराम से रहता है।


कभी आम्बेडकर ने भी यह नहीं सोचा होगा कि जिस कानून को बनाने व उसे पारित कराने में उन्होंने जी-जान लगा दी आज कानून के कुछ पुरोहित उसी से खिलवाड़ करेंगे,उसी का तमाशा बनायेंगे। पिछले डेढ़ साल में 22बार अग्रिम जमानत लेकर देश का एक बङा कानूनविद कानून,अदालत इत्यादि का मजाक बना कर रख दिया है और उसको सपोर्ट भी कानून के बङे-बङे पुजारी कर रहे हैं।ऐसे में देश की इस व्यवस्था को लेकर कुछ सवाल खङे होते हैं-
 1)इस तरह की व्यवस्था का क्या औचित्य है जिसमें आरोपी जमानत पर बाहर आराम से घूमता है व आरोप के सारे सबूत मिटाता जाता है ? 
2)आरोपी अगर पैसे वाला हो तो उसका एक बाल भी बाँका नहीं होता है,कानूनी अधिकारी भी उसका कुछ नहीं कर पाते जबकि दूसरे पक्ष को अपना सब कुछ खोना पड़ता है,दांव पर लगाना पड़ता है (उदाहरणार्थ उन्नाव की घटना इत्यादि)। 
3)जमानत जैसे प्रोविजन का दुरुपयोग क्यों ? 


सच तो यह है कि सिब्बल,सिंधवी,चिदंबरम जैसे लोग कलंक हैं कानून के नामपर। ये जब चाहते हैं तब कानून का मजाक उङाते हैं,इनको जज साब भी कोई "कुरान बांटो" जैसा तुगलकी फरमान नहीं सुना पाते। इस देश में सारे कानून-कायदे सिर्फ आम जनता के लिए है गांधी,विधायक,चिदंबरम के लिए नही। 22 बार अंतरिम जमानत देने वाले जज साहब की हालत भी सोचने वाली रही होगी, उनको भी खुद पर व कानून पर दया आ रही होगी। 

"राम" के नाम पर सरकारी छुट्टी लेने वाला सुप्रीम कोर्ट भगवान राम के अस्तित्व पर सवाल उठाता है व सबूत मांगता है तर्क देता है कि कानून सिर्फ सबूत मांगता है,अरे....जिसके खिलाफ सबूत है उसका भी तो ये तुम्हारा कानून कुछ नही कर पा रहा है,उसने कानून के नाक में दम कर रखा है। यहाँ का सच तो यह है कि आरोपी जब सजा के करीब पहुंचता है,उससे पहले ही कानून उसे जमानत दे चुका होता है।इस तरह से अपराधियों के हौसले बुलंद रहते हैं वे एक के बाद एक अपराध करते रहते हैं और 'मौलिक अधिकार' के नाम पर हमारे 'मिनी संविधान'(आर्टिकल 32) की धज्जियां उड़ाते रहते हैं।

लेकिन अन्ततः जीत सच्चाई की ही होती है,कानून की होती है ये बात उस दिन जज साहब ने साबित कर दिया जब उन्होंने 23वीं जमानत याचिका खारिज कर दिया।

Comments

Popular posts from this blog

"The 90s Kids: A Bridge Between Tradition and Technology in Today's Rapidly Changing World"

Reel life जगीरा vs Real life जगीरा

10 Interesting Facts About Social Media